Kutch, the largest district of Gujarat, is a land of vibrant culture, rich history, and breathtaking natural beauty. From shimmering salt pans to vivid Rann Utsav, from ancient monuments to thriving wildlife, Kutch has something to offer to everyone who visits this place. This blog will give you an overview of the various local tourism options available in Kutch that you can explore during your next visit to this amazing place. 1. Rann Utsav Rann Utsav is a festival that celebrates the beauty of the Great Rann of Kutch and is held every year between December and February. During the festival, the vast expanse of the salt desert transforms into a sea of vibrant tents, where visitors can enjoy traditional food, music, and dance. This festival provides an opportunity to explore the Rann and to witness the beautiful sunrise and sunset over the white desert. 2. Wild Ass Sanctuary Kutch is home to the world's largest population of the Indian Wild Ass, also known as Ghudkhur. The Wild Ass...
अटल बिहारी वाजपेयी : मृत्यु अटल है लेकिन अटल अमर है
🙏🏻दुःखद...मै निशब्द हुं, मै शुन्य मे हुं,
लेकीन भावनाओं का ज्वार उमड रहा है।
🙏🏻मृत्यु अटल है लेकिन अटल अमर है🙏🏻
भारतरत्न औरपूर्व प्रधानमंत्री एवं भारतीय राजनीतिके भीष्म पितामह अटल बिहारी वाजपेयी का aiims हॉस्पिटल में निधन।
🙏🏻जानें इनका राजनीतिक सफ़र🙏🏻
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स में शाम 05 बजकर 05 मिनट पर निधन हो गया. अटल बिहारी वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) की नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून 2018 को एम्स में भर्ती कराया गया था.
अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर पीएम मोदी का ट्वीट:
मधुमेह से पीड़ित वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम करता था. हालांकि, इन सबमें डिमेंशिया से भी अटल बिहारी वाजपेयी सबसे ज्यादा पीड़ित थे.
🙏 डिमेंशिया क्या है?🙏
डिमेंशिया किसी खास बीमारी नहीं, बल्कि एक अवस्था है. डिमेंशिया में इंसान की याददाश्त कमजोर हो जाती है और वह अपने रोजमर्रा के काम भी ठीक से नहीं कर पाता है. डिमेंशिया से पीड़ित लोगों में लघु याददाश्त जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं. अकसर लोग डिमेंशिया को सिर्फ एक भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं, और सोचते हैं कि यह मुख्यतर याददाश्त की समस्या है. पर डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं. डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की हालत समय के साथ बिगड़ती जाती है, और सहायता की जरूरत भी बढ़ती जाती है. इसमें मस्तिष्क में हानि भी होती है.
🙏काफी दिनों से बीमार थे वाजपेयी:🙏
आपको बता दें कि वाजपेयी काफी दिनों से बीमार थे. वे लगभग 15 साल पहले राजनीति से संन्यास ले चुके थे.
🙏 अटल बिहारी वाजपेयी एक 'कवि' भी:🙏
एक राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ अटल बिहारी वाजपेयी एक 'कवि' भी रहे और कविताएं उनके हृदय के करीब रहीं. प्रधानमंत्री बन जाने के बाद कविता गोष्ठियों या कवि सम्मेलनों में जाना उनके लिए संभव नहीं था, लेकिन कविता से उनका प्रेम ही है जो वर्ष 2002 में 'संवेदना' नाम की एलबम के रुप में सामने आया.
अटल बिहारी वाजपेयी एक कमाल के वक्ता रहे हैं और उनकी भाषा शैली में कविता इस कदर रची बसी थी की वो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर लेते थे.
अटल बिहारी वाजपेयी के “जीवन से मृत्यु की कहानी” कहती इस कविता के कुछ अंश:
...जीवन एक अनंत कहानी
पर तन की अपनी सीमाएं
यद्दपि सौ शरदों की वाणी
इतना काफी है, अंतिम दस्तक पर...
3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी:
अटल बिहारी वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे. वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. पहली बार वर्ष 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई. वर्ष 1998 में वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीनों तक चली थी. वर्ष 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया. 5 साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले वह पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं.
🙏भाजपा की स्थापना:🙏
अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की. अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भाजपा की स्थापना की थी और उसे सत्ता के शिखर पहुंचाया. भारतीय राजनीति में अटल-आडवाणी की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई है. अटल बिहारी देश के उन चुनिन्दा राजनेताओं में से हैं जिन्हें दूरदर्शी माना जाता है. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में ऐसे कई फैसले लिए जिसने देश और उनके खुदके राजनीतिक छवि को काफी मजबूती दी.
🙏अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में:🙏
• अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था.
• वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया ( अब लक्ष्मीबाई ) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई थी.
• उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया और पत्रकारिता में अपना करियर शुरु किया था.
• अटल बिहारी वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री भी रहे थे.
• वे वर्ष 1968 से 1973 तक भारतीय जन संघ के अध्यक्ष रहे. विपक्षी पार्टियों के अपने दूसरे साथियों की तरह उन्हें भी आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया था.
• अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे.
• वहीं वे दो बार वर्ष 1962 और वर्ष 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहें. इस दौरान वे उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते. वहीं वह गुजरात से राज्यसभा पहुंचे थे.
• वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं. वे वर्ष 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे. वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे.
🙏आजीवन अविवाहित:🙏
उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया.
🙏पुरस्कार:🙏
• सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये दिसंबर 2014 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है. इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है. इस सम्मान की स्थापना 02 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी.
• उन्हें बांग्लादेश सरकार ने वर्ष 2015 में फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड से नवाजा था. यह अवार्ड उन्हें वर्ष 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त करने में बांग्लादेश की मदद करने के लिए दिया गया था. उस वक्त वह लोकसभा के सदस्य थे.
• पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश के भोज मुक्त विद्यालय ने भी डी लिट की उपाधि दी थी.
• उन्हें वर्ष 1994 में श्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
• कानपुर विश्वविद्यालय ने वर्ष 1993 में उन्हेंं डी लिट की उपाधि से सम्मानित किया था.
• उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण के नागरिक सम्मान से नवाजा गया था.
पोखरण में परमाणु परीक्षण:
पोखरण में 11 मई और 13 मई 1998 को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर अटल बिहारी वाजपेयी ने सभी को चौंका दिया था. यह भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण था. इससे पहले वर्ष 1974 में पोखरण 1 का परीक्षण किया गया था. दुनिया के कई संपन्न देशों के विरोध के बावजूद अटल सरकार ने इस परीक्षण को अंजाम दिया था, जिसके बाद अमेरिका, कनाडा, जापान और यूरोपियन यूनियन समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह की रोक भी लगा दी थी जिसके बावजूद अटल सरकार ने देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की. पोखरण का परीक्षण अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे बड़े फैसलों में से एक था.
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कारगिल युद्ध:
पाकिस्तानी सेना और उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया था. अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया था. इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ था और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गया था.
🙏संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिंदी में भाषण:🙏
वर्ष 1977 में मोरार जी देसाई की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे, वे तब पहले गैर कांग्रेसी विदेश मंत्री बनें थे. इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया था और दुनियाभर में हिंदी भाषा को पहचान दिलाई. हिंदी में भाषण देने वाले अटल भारत के पहले विदेश मंत्री थे. पहली बार यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की राजभाषा गूंजी थी. इतना ही नहीं भाषण खत्म होने के बाद यूएन में आए सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर अटल बिहारी वाजपेयी का तालियों से स्वागत किया था.🙏
🙏अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में 10 रोचक तथ्य:🙏
1. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 ई० को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था. उनके पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी है जो अध्यापक थे और इनकी माता का नाम कृष्णा देवी था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई थी. उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एम.ए किया था.
2. क्या आप जानते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने लॉ की पढ़ाई अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से की थी. दोनों ने एक ही कक्षा में लॉ की डिग्री हासिल की और इस दौरान दोनों एक ही साथ हॉस्टल में भी रहे थे.
3. अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार 'बाप जी' कहकर बुलाते थे. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में एक भाषण के दौरान उन्हें भारतीय राजनीति का 'भीष्म पितामाह' कहा था. उन्होंने शादी नहीं की थी परन्तु एक लड़की को गोद लिया था जिसका नाम नमिता है. क्या आप जानते हैं कि उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन उन्हें मांस-मच्छी खाने का बहुत शोक था. वह प्रोन्स खाने के शौकीन थे. पुरानी दिल्ली का करीम होटल उनका पसंदीदा मांसाहारी होटल है.
4. अटल बिहारी वाजपेयी जी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आ गए थे. क्या आप जानते हैं कि 1942 के 'भारत छोड़ो' आन्दोलन में उन्होंने भी भाग लिया था और 24 दिन तक कारावास में रहे थे. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी. वे 10 बार लोकसभा में और 2 बार राज्यसभा में सांसद रहे. हम आपको बता दें कि वे एकमात्र ऐसे सांसद है जो चार अलग-अलग राज्यों दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से सांसद बने थे. 6 अप्रैल 1980 ई० में उनको भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया था.
5. उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की और अनेक पुस्तकों की रचना की. उनको कविताओं से भी खासा लगाव रहा. वह अपने विचारों को कई बार कविताओं के माध्यम से भी सामने रखते थे. वे एक कुशल वक्ता हैं और उनके बोलने का ढंग भी बिलकुल अलग है. वे दो मासिक पत्रिकाओं “राष्ट्रधर्म” और “पांचजन्य” के संपादक रहे. साथ ही दो दैनिक समाचार पत्र “स्वदेश” और “वीर अर्जुन” के भी संपादक रहे. उनकी कविताओं की बेहतरीन रचना “मेरी इकियावन कविताएं” हैं.
6. अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. किन्तु इस बार इनको संख्या बल के आगे त्याग-पत्र देना पड़ा था. 19 मार्च 1998 को पुनः अटलजी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी और फिर 13 अक्टूबर 1999 को अटलजी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वे 1997 में जनता पार्टी सरकार से विदेश मंत्री बने और संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सत्र में उन्होंने हिंदी में अपना भाषण भी दिया था. वे श्यामा प्रसाद मुखेर्जी के प्रशंसक है.
7. अटल बिहारी वाजपेयी एक दिग्गज नेता थे और उन्होंने विरोधी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल किया था. यहाँ तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भविष्यवाणी करते हुए कह दिया था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री होंगे. जब वे विदेश मंत्री बने थे तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में भाषण दिया था और ऐसा करने वाले वे देश के प्रथम नेता थे.
8. वर्ष 1971 में जब बांग्लादेश का विभाजन हुआ, तो उसमें इंदिरा गांधी के प्रतिनिधित्व में भारत की जो भूमिका रही, उससे प्रभावित होकर अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें “साक्षात दुर्गा” की उपाधि दी थी. इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास दिलाने वाले भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ही थे. अनेक अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बाद भी उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण को करवाया और भारत को एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाया. पूर्वराष्ट्रपति नरसिम्हा राव, अटल बिहारी बाजपेयी को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे. पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए, उन्होंने 19 फरवरी 1999 को लाहौर में सदा-ए-सरहाद नाम की एक बस यात्रा की थी.
9. अटल बिहारी वाजपेयी को कई बार सम्मनित किया जा चुका है. उन्हें 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार व गोविंद वल्लभ पंत जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया. उनको दिसम्बर, 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. इनके जीवन से हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बड़े प्रभावित रहे हैं.
🙏पूज्य अटलजी की, कविताऐ🙏
ठन गई
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर
हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई।
🙏अमर अटलकी दुसरी कविता 🙏
क़दम मिला कर चलना होगा
बाधाएँ आती हैं आएँ,
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढ़लना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।https://youtube.com/c/KutchiBawaTalentHub
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